|| श्री खेतेश्वर दाता जी की आरती ||
|| ॐ नमस्कार
गुरु सा बारम्बारा ||
|| ॐ नमस्कार
शिव बारम्बारा ||
|| ॐ नमस्कार
हर बारम्बारा ||
अनन्त कोटि दया के स्वामी, जड चेतन में वास तुम्हारा ||
ना तू किसी में ना तेरे में, ऐसा निर्गुण रूप तुम्हारा ||
आप ही सब में सब तेरे में, ऐसा सुगुण रूप तुम्हारा ||
आप ही जल में आप ही थल में, जहाँ देखु तहाँ वास तुम्हारा ||
आप ही बाहर आप ही भीतर, सब घट में प्रकाश तुम्हारा ||
आप ही कर्ता आप ही भर्ता, सब जग में विस्तार तुम्हारा ||
आप ही सूरज आप ही चंदा, आप ही हो मण्डल के तारा ||
आप ही ब्रह्मा आप ही विष्णु, आप ही हो ईश्वर ओंकारा ||
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, तब हो दर्शन नाथ तुम्हारा ||
गुरु प्रताप बने ब्रह्मचारी
जी, सच्चिदानंद गुरु रूप तुम्हारा ||
|| ॐ नमस्कार
गुरु सा बारम्बारा ||
|| ॐ नमस्कार
शिव बारम्बारा ||
|| ॐ नमस्कार
हर बारम्बारा ||



